अखण्ड साम्राज्य योग। Akhand Samrajya Yog.
वैदिक ज्योतिष में अखंड साम्राज्य योग को एक अत्यंत शुभ और शक्तिशाली राजयोग माना गया है। यह योग कुछ विशेष ग्रह स्थितियों के संयोजन से बनता है और जातक को जीवन में अपार सफलता, समृद्धि और प्रतिष्ठा प्रदान करता है।
अखंड साम्राज्य योग का निर्माण:
अखंड साम्राज्य योग कई तरह से बनता है, जिनमें से कुछ प्रमुख स्थितियां इस प्रकार हैं:
जब कुंडली के दूसरे, दसवें और ग्यारहवें भाव के स्वामी एक साथ केंद्र में स्थित होते हैं।
जब बृहस्पति ग्रह दूसरे, पांचवें या ग्यारहवें भाव का स्वामी होता है।
जब चंद्रमा और बृहस्पति की युति दूसरे, नौवें या ग्यारहवें भाव में होती है।
यह योग वृषभ, सिंह, वृश्चिक और कुंभ लग्न की कुंडली में विशेष रूप से प्रभावी होता है।