Bhishma Dwadashi 2024: भीष्म द्वादशी का व्रत बेहद पुण्यदायी माना गया है. संतान प्राप्ति के लिए इस दिन ऐसे करें श्रीकृष्ण की पूजा. जानें भीष्म द्वादशी 2024 में कब है, डेट, महत्व और पूजा विधि

Bhishma Dwadashi 2024: माघ महीने के शुक्ल पक्ष की द्वादशी को भीष्म द्वादशी के नाम से जाना जाता है. शास्त्रों में कहा गया है कि भीष्म द्वादशी के दिन व्रत करने से घर में सुख, समृद्धि का वास होता है.

संतान प्राप्ति के लिए की कामना के लिए इस दिन महिलाएं श्रीकृष्ण की पूजा करती है. सनातन परंपरा में भीष्म द्वादशी के दिन की जाने वाली साधना-आराधना सारे मनोरथ को पूरी करने वाली मानी गई है.

कब है भीष्म द्वादशी 2024? ( Kab Hai Bhishm Dwadashi 2024 )

इस साल भीष्म द्वादशी 21 फरवरी 2024 को है, इससे एक दिन पहले जया एकादशी का व्रत भी रखा जाएगा. माघ मास के शुक्लपक्ष की अष्टमी पर भीष्म पितामह ने अपने प्राण त्यागे थे और इसके 3 दिन बाद ही द्वादशी पर भीष्म पितामह के लिए तर्पण और पूजा का विधान है, इसलिए ये दिन बहुत खास माना जाता है.


पंचांग के अनुसार, माघ मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि 20 फरवरी, मंगलवार की सुबह 09:55 से 21 फरवरी, बुधवार की सुबह 11:27 तक रहेगी। चूंकि द्वादशी तिथि का सूर्योदय 21 फरवरी को होगा, इसलिए इसी दिन भीष्म द्वादशी का व्रत किया जाएगा। इस दिन आयुष्मान और सौभाग्य नाम के 2 शुभ योग दिन रहेंगे।

इस विधि से करें भीष्म द्वादशी का व्रत (Bhishm Dwadashi 2024 Puja Vidhi)

भीष्म द्वादशी की पूजा का शुभ फल पाने के लिए साधक को स्नान-ध्यान करने के बाद सबसे पहले सूर्य नारायण को अर्घ्य देकर उनका ध्यान करना चाहिए करने के बाद हाथ में जल-चावल लेकर भीष्म द्वादशी व्रत-पूजा का संकल्प लें।

- इसके बाद शुभ मुहूर्त में भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की पूजा करें। फल, पंचामृत, सुपारी, पान, दूर्वा आदि चीजें चढ़ाएं।

- कुछ ग्रंथों में भीष्म द्वादशी को तिल द्वादशी भी कहा गया है। इसलिए इस दिन पूजा में भगवान को तिल जरूर चढ़ाएं। अब श्रीहरि विष्णु और भगवान श्री कृष्ण को पीले पुष्प, पीले वस्त्र, पीले फल, पीला चंदन, पीले रंग की मिठाई, तुलसी दल आदि अर्पित करके श्री विष्णुसहस्त्रनाम का पाठ करें. इसके बाद पितरों के लिए तिल, जल और कुश के माध्यम से तर्पण करें. इस दिन ब्राह्मण भोजन कराएं और क्षमता अनुसार दान दें.महाभारत में भगवान श्रीकृष्ण ने कहा था कि जो व्यक्ति भीष्म द्वादशी के दिन अपने पितरों के निमित्त दान करेगा तो उसे सदैव प्रसन्नता ही प्राप्त होगी.

- घर में बने पकवानों का भगवान को भोग लगाएं। देवी लक्ष्मी समेत अन्य देवों की स्तुति करें। ब्राह्मणों को दान-दक्षिणा दें।

- इस दिन पवित्र नदी में स्नान करने और जरूरतमंदों को दान करने से सुख-सौभाग्य, धन-संतान की प्राप्ति होती है।

- इसके बाद किसी नदी के तट पर या घर पर ही भीष्म पितामाह के निमित्त तर्पण-पिंडदान आदि करें।

- भीष्म द्वादशी पर इसी विध से पूजा-व्रत आदि करने से आपको शुभ फल प्राप्त होंगे और घर में सुख-समृद्धि बनी रहेगी।

भीष्म द्वादशी व्रत महत्व

भीष्म द्वादशी व्रत सब प्रकार का सुख और वैभव देने वाला होता है. इस दिन उपवास करने से समस्त पापों का नाश होता है. इस दिन श्रीहरि की पूजा करने से सौभाग्य में वृद्धि, संतान आदि का सुख प्राप्त होता है. भीष्म द्वादशी पर पितरों का तर्पण करने से घर में खुशहाली आती है, पितृ दोष के अशुभ प्रभाव खत्म होने लगते हैं.

Bhishma Dwadashi, also known as Bhishma Dwadashi Vrat, is a significant festival in Hinduism. It is observed on the Dwadashi Tithi (12th day) of the Shukla Paksha (waxing phase of the moon) in the month of Magha. This day is dedicated to Bhishma Pitamah, the great warrior from the Mahabharata, who had the boon of choosing the time of his death. It is believed that Bhishma Pitamah left his mortal coil on this day. On this occasion, devotees worship Lord Vishnu and pay homage to Bhishma Pitamah. This day symbolizes sacrifice, dedication, and devotion to dharma. Giving charity and performing good deeds on this day is considered very auspicious.

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