मासिक कार्तिगाई | Masik Karthigai on 16 Feb 2024 (Friday)
मासिक कार्तिगाई एक विशेष मासिक-त्यौहार है जिसे बहुत ही हर्षोल्लास से मनाया जाता है। इस त्यौहार को तमिल-हिंदुओं द्वारा भी बहुत ही जोर-शोर के साथ मनाया जाता है।
हिन्दू धर्म के पंचांग के अनुसार मासिक कार्तिगई का यह पर्व प्रत्येक माह में कृतिका नक्षत्र के दौरान मनाया जाता है। दक्षिण भारत में मासिक कार्तिगई का पर्व बहुत ही ज्यादा धूमधाम से मनाया जाता है इस दिन की मान्यता के अनुसार भगवान शिव स्वयं शिव ज्योत के रूप में प्रकट हुए थे इसलिए इस पर्व में विशेष रूप से शिव जी की भी पूजा की जाती है तथा शिव जी के साथ भगवान कार्तिकेय की भी उपासना की जाती है तथा दीपावली की तरह ही पंक्ति बद्ध तरीके से भी ज्योत जलायें जाते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मासिक कार्तिगई की पूजा में शिव जी की पूजा अवश्य करनी चाहिए। इस दिन शिव जी की पूजा करने से जातक के जीवन में से सभी संकट हमेशा के लिए दूर हो जाते हैं तथा जातक के जीवन में एक नयी ऊर्जा का संचार होता है।
क्यों मनाया जाता है मासिक कार्तिगाई पर्व
मान्यता के अनुसार शिव जी स्वयं को ज्योत के रूप में परिवर्तित कर लिया था इसलिए मासिक कार्तिगई दीपम पर भगवान शिव जी के ज्योति स्वरूप का पूजन किया जाता है। इसके पीछे की कहानी कुछ इस प्रकार थी कि जब ब्रह्मा और विष्णु जी के बीच श्रेष्ठता को लेकर विवाद हुआ तो शिव जी ने ज्योति स्तम्भ के रूप में प्रकट होकर दोनों से इसके प्रारम्भ और अंत को खोजने को कहा तभी से भगवान शिव जी के इस ज्योति स्वरूप का पूजन किया जाता है।
मासिक कार्तिगाई पूजा विधि
इस दिन प्रातः काल जगकर सबसे पहले देवों के देव महादेव को प्रणाम करें, उसके बाद नित्य कर्मों से निवृत्त होकर स्नान करके स्वच्छ हो जायें। गंगाजल को अपने घर में छिड़ककर आचमन करें और सफेद वस्त्र धारण करें। उसके बाद सूर्यदेव को अर्घ्यं देने के बाद शिव जी की पूजा फल, फूल, भाँग, धतूरा, धूप, घी इत्यादि से विधिपूर्वक पूजा-पाठ करें। अंत में आरती करने के बाद सुख-समृद्धि की प्राप्ति करें।
मासिक कार्तिगाई महोत्सव -
ज्योतिषाचार्य भाग्यराज जी द्वारा
कृत्तिका दीपम करने के लिये कृतिका नक्षत्र को बहुत ही अधिक शुभ होता है। कार्थिगई दीपम थिरुवन्नमलाई की पहाड़ियों में भी बहुत लोकप्रिय है, जहाँ एक विशाल अग्नि दीप-महादिपम को पर्वत-शिखर पर उतारा जाता है, जिसे जमीनी स्तर से देखा जा सकता है। हिंदू भक्त भगवान से प्रार्थना करते हैं।
तमिल कैलेंडर के अनुसार, मासिक कार्तिगाई हर महीने मनाए जाने वाले प्रसिद्ध त्योहार "कार्थिगई दीपमव (कार्तिकई विलाकिदुकु)" का एक धार्मिक पालन है। सींधे शब्दों में कहे तो, मंदिरों में अपने-अपने गर्भगृह के अंदर भगवान शिव और भगवान मुरुगन की पूजा करना शुभ माना जाता है।
मासिक कार्तिगाई और भगवान कार्तिकेय का जन्मदिन -
मासिक कार्तिगाई को भगवान कार्तिकेय के जन्मदिने के रूप में भी मनाया जाता है और इस दिन मंदिरों की रौनक देखते ही बनती है जिसे भगवान मुरुगा, भगवान सुब्रमण्य और भगवान शनमुगा आदि के रूप में जाना जाता है, जिन्हें भगवान शिव के दिव्य पुत्र के रूप में जाना जाता है।
मासिक कार्तिगाई अनुष्ठान -
भक्त अपने घर को साफ करते हैं और सुबह जल्दी उठकर पवित्र स्नान करते हैं।
उसके बाद पूजा वेदी तैयार की जाती है, और भगवान मुरुगन की मुर्ति पर पुष्प माला अर्पित की जाती है।
आटा, घी और गुड़ से तैयार एक दीपक जलाया जाता है जो बहुत शुभ माना जाता है।
सुब्रह्मण्य कवचम और कंडा षष्ठी कवचम का जाप करके पूजा की जाती है।
अगरबत्ती, चंदन, हल्दी का लेप और सिंदूर भगवान को चढ़ाया जाता है।
भक्त भोग के रूप में कई व्यंजनों को तैयार करते हैं।
बाद में आरती को सुब्रह्मण्य के लिए किया जाता है।
कई भक्त इस दिन उपवास रखते हैं। उपवास भोर के दौरान शुरू होता है और शाम के दौरान समाप्त होता है। सुबह के साथ-साथ शाम को भी पूजा की जाती है।
Masik Karthigai is a monthly festival dedicated to Lord Murugan, celebrated on the Karthigai Nakshatra (star) day each month. This festival is particularly significant in Tamil Nadu and other South Indian regions. Devotees observe fasts, offer prayers, and light lamps to honor Lord Murugan, seeking his blessings for prosperity, wisdom, and the removal of obstacles. The temples dedicated to Lord Murugan are beautifully decorated, and special pujas are performed throughout the day. The lighting of lamps symbolizes the dispelling of darkness and ignorance, bringing light and positivity into devotees' lives.
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