कंकणाकृति सूर्य ग्रहण 14 अक्टूबर शंका समाधान
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ग्रहण एक खगोलीय घटना है इसका वैज्ञानिक महत्व होने के साथ ही आध्यात्मिक रूप से भी बहुत महत्त्व माना गया है जगत के समस्त प्राणियों पर इसका किसी न किसी रूप में प्रभाव अवश्य पड़ता है।
कब लगता है सूर्यग्रहण
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जब पृथ्वी चंद्रमा व सूर्य एक सीधी रेखा में हों तो उस अवस्था में सूर्य को चंद्र ढक लेता है जिस सूर्य का प्रकाश या तो मध्यम पड़ जाता है या फिर अंधेरा छाने लगता है इसी को सूर्य ग्रहण कहा जाता है।
कितने प्रकार का होता है सूर्य ग्रहण
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पूर्ण सूर्य ग्रहण👉चंद्र जब सूर्य को पूर्ण रूप से ढक देता है और चारो दिशाओ में अंधेरा व्याप्त हो जाये तो इसे पूर्ण सूर्यग्रहण कहा जायेगा।
खंडग्रास या आंशिक सूर्य ग्रहण👉 जब चंद्रमा सूर्य को पूर्ण रूप से न ढ़क पाये तो तो इस अवस्था को खंड ग्रहण कहा जाता है। पृथ्वी के अधिकांश हिस्सों में अक्सर खंड सूर्यग्रहण ही देखने को मिलता है।
वलयाकार सूर्य ग्रहण👉 वहीं यदि चांद सूरज को इस प्रकार ढके की सूर्य वलयाकार दिखाई दे यानि बीच में से ढका हुआ और उसके किनारों से रोशनी का छल्ला बनता हुआ दिखाई दे तो इस प्रकार के ग्रहण को वलयाकार सूर्य ग्रहण कहा जाता है।
खगोलशास्त्र के अनुसार ग्रहण
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खगोल शास्त्रियों नें गणित से निश्चित किया है कि 18 वर्ष 18 दिन की समयावधि में 41 सूर्य ग्रहण और 29 चन्द्रग्रहण होते हैं। एक वर्ष में 5 सूर्यग्रहण तथा 2 चन्द्रग्रहण तक हो सकते हैं। किन्तु एक वर्ष में 2 सूर्यग्रहण तो होने ही चाहिए। हाँ, यदि किसी वर्ष 2 ही ग्रहण हुए तो वो दोनो ही सूर्यग्रहण होंगे। यद्यपि वर्षभर में 7 ग्रहण तक संभाव्य हैं, तथापि 4 से अधिक ग्रहण बहुत कम ही देखने को मिलते हैं। प्रत्येक ग्रहण 18 वर्ष 11 दिन बीत जाने पर पुन: होता है। किन्तु वह अपने पहले के स्थान में ही हो यह निश्चित नहीं हैं, क्योंकि सम्पात बिन्दु निरन्तर चल रहे हैं।
An annular solar eclipse, a celestial event where the moon doesn't fully obscure the sun, leaving a 'ring of fire,' holds significant astrological implications. It's often associated with transformative energies, influencing personal and collective destinies. Astrologers advise caution during this period, recommending introspection and spiritual practices over major decisions. The eclipse's impact varies depending on the zodiac sign it occurs in, potentially affecting relationships, careers, and health. Understanding these cosmic events can provide valuable insights into our lives."
कंकणाकृति सूर्य ग्रहण, एक खगोलीय घटना जिसमें चंद्रमा सूर्य को पूरी तरह से नहीं ढक पाता, जिससे 'अग्नि वलय' दिखाई देता है, ज्योतिषीय दृष्टि से महत्वपूर्ण है। यह अक्सर परिवर्तनकारी ऊर्जाओं से जुड़ा होता है, जो व्यक्तिगत और सामूहिक भाग्य को प्रभावित करता है। ज्योतिषी इस अवधि के दौरान सावधानी बरतने की सलाह देते हैं, महत्वपूर्ण निर्णयों के बजाय आत्मनिरीक्षण और आध्यात्मिक प्रथाओं की सिफारिश करते हैं। ग्रहण का प्रभाव उस राशि के अनुसार भिन्न होता है जिसमें यह होता है, जो संभावित रूप से रिश्तों, करियर और स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। इन ब्रह्मांडीय घटनाओं को समझने से हमारे जीवन में मूल्यवान अंतर्दृष्टि मिल सकती है।
सूर्य ग्रहण है या नहीं शंका समाधान
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कंकणाकृति (वलयाकर) सूर्यग्रहण :- आश्विनकृष्ण अमावस्या, 14 अक्टूबर 2023, शनिवार को यह ग्रहण हवाई, उत्तरी अमेरिका, मध्य अमेरिका के सम्पूर्ण क्षेत्र, दक्षिण अमेरिका (दक्षिणी छोर को छोड़कर), अजोरेस, उत्तरी अफ्रीका का पश्चिमी भाग, अटलाण्टिक महासागर एवं प्रशांत महासागर में यह ग्रहण दिखायी देगा। यह ग्रहण भारत में नहीं दिखेगा, अतः इसका सूतक भी भारत में नहीं लगेगा। #SuryaGrahan2023 #SuryaGrahan