गायत्री मंत्र एक सार्वत्रिक मंत्र है, जो वेदों में वर्णित है और इसे सबसे शक्तिशाली मंत्रों में से एक माना जाता है। यह मंत्र न केवल आध्यात्मिक उन्नति के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि ज्योतिषीय दृष्टिकोण से भी इसका विशेष महत्व है। जिन व्यक्तियों की कुंडली में कालसर्प दोष या पितृ दोष होता है, उनके लिए गायत्री मंत्र का जाप विशेष रूप से फलदायी माना गया है।
कालसर्प दोष
कालसर्प दोष तब बनता है जब राहु और केतु के बीच में सभी ग्रह स्थित होते हैं। इस दोष के कारण व्यक्ति को जीवन में अनेक प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है, जैसे कि स्वास्थ्य समस्याएं, आर्थिक समस्याएं, और पारिवारिक समस्याएं।
पितृ दोष
पितृ दोष तब होता है जब व्यक्ति के पूर्वजों के कर्म अच्छे नहीं होते हैं या उनकी आत्माएं तृप्त नहीं होती हैं। इस दोष के कारण व्यक्ति को जीवन में अनेक प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है, जैसे कि संतानहीनता, धन की हानि, और स्वास्थ्य समस्याएं।
गायत्री मंत्र का महत्व
गायत्री मंत्र का जाप करने से कालसर्प दोष और पितृ दोष के नकारात्मक प्रभावों को कम किया जा सकता है। यह मंत्र व्यक्ति को मानसिक शांति और स्थिरता प्रदान करता है, जिससे वह अपने जीवन की समस्याओं का सामना करने में सक्षम होता है।
"ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्"