ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, सौतन की समस्या मुख्य रूप से कुछ ग्रहों और भावों के नकारात्मक प्रभाव के कारण उत्पन्न होती है।
प्रमुख ग्रह और भाव:
सप्तम भाव: यह भाव विवाह और जीवनसाथी का प्रतिनिधित्व करता है। यदि सप्तम भाव में कोई पापी ग्रह जैसे मंगल, शनि, राहु या केतु स्थित हो या इन ग्रहों की दृष्टि सप्तम भाव पर पड़ रही हो, तो सौतन की समस्या उत्पन्न हो सकती है।
शुक्र ग्रह: शुक्र ग्रह को विवाह और प्रेम का कारक माना जाता है। यदि शुक्र ग्रह कमजोर हो या किसी पापी ग्रह से पीड़ित हो, तो भी सौतन की समस्या हो सकती है।
द्वादश भाव: यह भाव शयन कक्ष और गुप्त संबंधों का प्रतिनिधित्व करता है। यदि द्वादश भाव में कोई पापी ग्रह स्थित हो या इस भाव पर किसी पापी ग्रह की दृष्टि पड़ रही हो, तो भी सौतन की समस्या उत्पन्न हो सकती है।