ज्योतिष में विवाह और संबंधों का विश्लेषण करते समय सप्तम भाव का विशेष महत्व होता है। यदि किसी जातक की कुंडली में सप्तम भाव का स्वामी अशुभ ग्रहों के साथ 6, 8 या 12वें भाव में स्थित हो, और सप्तम भाव स्वयं पापी ग्रहों के प्रभाव में हो, तो दूसरी शादी का योग बन सकता है।

इस योग के कारण:

सप्तम भाव का स्वामी: सप्तम भाव का स्वामी यदि अशुभ ग्रहों के साथ युति में हो या नीच राशि में स्थित हो, तो यह वैवाहिक जीवन में समस्याओं का संकेत देता है।
6, 8, 12 भाव: ये भाव त्रिक भाव कहलाते हैं और अशुभ माने जाते हैं। यदि सप्तम भाव का स्वामी इन भावों में स्थित हो, तो यह वैवाहिक जीवन में अस्थिरता और संघर्ष का कारण बन सकता है।
पापी ग्रहों का प्रभाव: यदि सप्तम भाव पर पापी ग्रहों जैसे मंगल, शनि, राहु या केतु का प्रभाव हो, तो यह विवाह में बाधाएं और अलगाव पैदा कर सकता है।

Vedic astrology, marriage astrology, 7th house analysis, multiple marriages, astrological prediction, birth chart analysis, malefic planets.

100% SECURE PAYMENT

100% secure payment
SSL
AstroSage verified astrologer
Visa & Master card
phonepe