12वां भाव अचेतन मन, भय, एकांत और अज्ञात का प्रतिनिधित्व करता है। जब चंद्रमा, जो मन का कारक है, इस भाव में अकेला होता है, तो जातक अक्सर अत्यधिक भयभीत और असुरक्षित महसूस करता है। वे बार-बार अपने आसपास के वातावरण को लेकर सतर्क रहते हैं, जैसे कि बार-बार दरवाजे की कुंडी चेक करना। साथ ही, संबंधों में भी उन्हें विश्वास की कमी और अकेलापन महसूस हो सकता है।
ज्योतिषीय दृष्टिकोण से:
12वें भाव में चंद्रमा का अकेला होना, जातक के मन में अत्यधिक भय और असुरक्षा पैदा करता है। यह भावनात्मक अस्थिरता और नींद की समस्याओं का कारण भी बन सकती है।
उपाय:
ध्यान और योग: नियमित रूप से ध्यान और योग करने से मन शांत होता है और भय कम होता है।
मंत्र जाप: शांति मंत्र जैसे ओम नमः शिवाय का जाप करने से मन शांत होता है।
पर्यावरण: अपने आसपास का वातावरण शांत और सकारात्मक रखें।
समाजिक गतिविधियां: दोस्तों और परिवार के साथ समय बिताएं।
पेशेवर मदद: यदि समस्या गंभीर है, तो मनोवैज्ञानिक की मदद लें।