केंद्र के चारों खानों के पिछले भावों में यदि ज्यादा ग्रह हों, तो जातक पुरानी बातें और पुरानी यादों का ढिंढोरा पीटता है, उन्हीं बातों को ज्यादा सोचता है, पश्चातावे वाली जिंदगी जीता है।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जब किसी जातक की कुंडली में केंद्र के चारों खानों यानी प्रथम, चतुर्थ, सप्तम और दशम भाव के पिछले भावों में अधिक ग्रह स्थित होते हैं, तो उस व्यक्ति के स्वभाव और जीवन पर इसका गहरा प्रभाव पड़ता है। ऐसे व्यक्ति अक्सर अपनी पुरानी बातों और यादों में खोए रहते हैं। वे अपने अतीत के अनुभवों को भूल नहीं पाते और उन्हीं के बारे में सोचते रहते हैं।

ऐसे जातकों का मन अस्थिर रहता है और वे वर्तमान में जीने की बजाय भूतकाल में ही उलझे रहते हैं। वे अपने पुराने रिश्तों, दोस्तों और घटनाओं को याद करते रहते हैं और उन्हीं के बारे में बातें करते हैं। कई बार तो वे अपने पुराने समय को याद करके पछताते भी हैं और सोचते हैं कि काश उन्होंने ऐसा नहीं किया होता।

इस प्रकार की मानसिकता के कारण ऐसे जातक अपने जीवन में आगे नहीं बढ़ पाते और हमेशा पीछे ही रह जाते हैं। वे नई चीजों को सीखने और नए अनुभव करने से डरते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि वे अपने अतीत को नहीं छोड़ पाएंगे। इसलिए, वे एक पश्चातावे वाली जिंदगी जीते हैं और हमेशा अपने बीते हुए समय के बारे में सोचते रहते हैं।

हालांकि, ज्योतिष शास्त्र में इसका समाधान भी बताया गया है। यदि किसी जातक की कुंडली में ऐसे योग बन रहे हैं, तो उन्हें कुछ उपाय करने चाहिए ताकि वे अपने अतीत से बाहर निकल सकें और वर्तमान में जीना सीख सकें। इसके लिए उन्हें अपने मन को शांत करने और सकारात्मक विचारों को अपनाने की आवश्यकता है। उन्हें अपने लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए और अपने भविष्य के लिए योजनाएं बनानी चाहिए।

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