Hindi:
बारहवें भाव में मंगल के स्वभाव को समझना काफी मुश्किल है। इसमें गुण-अवगुण दोनों ही बहुत शिद्दत से पाए जाते हैं। एक शुभ बात तो जरूर है-वह यह कि-लाल किताब के अनुसार यदि मंगल बारहवें भाव में हो तो उस स्थिति में राहु कहीं भी हो, वह किसी भी प्रकार की शरारत नहीं करता। दूसरे शब्दों में, उस कुंडली में राहु से अचानक घटनाएँ, मेरा अचानक पर विशेष जोर है, तो अचानक घटनाएँ बहुत कम देखने में आती हैं। चौदहवीं शताब्दी के एक महान् ज्योतिषी गर्ग ने अपनी पुग्नक 'गर्ग संहिता' में जिक्र किया है कि यदि मंगल बारहवें भाव में हो तो वह व्यक्ति अपने बंधुओं से द्वेष करता है। अब बंधु कोई बहुत स्पष्ट शब्द नहीं, बंधुओं में लगभग सभी प्रकार के रिश्तेदार आ जाएँगे-पुरुष वर्ग भी और स्त्री वर्ग भी। किसी प्राचीन ग्रंथाकार ने इसका जिक्र नहीं किया। हाँ, यहाँ इस संदर्भ में एक बात जरूर है कि ज्योतिष के पितामह पाराशर ने लिखा है कि यदि मंगल बारहवें भाव में हो तो भाई की मृत्यु होती है। अब ज्योतिष का तुलनात्मक अध्ययन करने वालों के लिए यह हैरानी की सी बात मालूम होती है कि दूसरे ग्रंथाकारों ने विशेषकर पाराशर के अलावा वैद्यनाथ ने, गर्ग ने, जैमिनी ने, दौलत ने इस तरह का स्पष्ट वर्णन क्यों नहीं किया। मेरे अपने विचार में ये फल मंगल के उसी रूप में आ सकते हैं जब मंगल कुंडली में बहुत दूषित हो। अब दूषित की अपनी परिभाषाएँ हैं, जिनका मैं इस संदर्भ में जिक्र करना चाहता हूँ। सबसे पहली बात तो ये है कि यदि उस कुंडली में सूर्य और शनि एक साथ हों तो मंगल बहुत हद तक दूषित हो जाएगा। अब मेष लग्न वालों के लिए बारहवें घर का मंगल, बृहस्पति की मीन राशि में आता है, इसलिए नीच तो वह नहीं हुआ। किंतु यदि किसी रूप से कुंडली में केतु सातवें घर में आ जाए, केतु के सातवें घर में आने का मतलब है, मंगल की केतु पर दृष्टि होगी और मंगल और केतु पढ़ात्मक हो जाएँगे, जिसके अनुसार मंगल बहुत हद तक दूषित हो जाएगा। इसके अलावा यदि मंगल के साथ बुध भी बारहवें घर में हो या किसी रूप में बुध से मंगल दूषित हो रहा है तो इस हालत में व्यक्ति के लिए अशुभ होता है और भाई की मृत्यु होने की संभावना रहती है। अपने विचार को और स्पष्ट शब्दों में प्रकट करने के लिए यहाँ में लाल किताब के विचारों का सहारा लेना चाहता हू । लाल किताब में मंगल की अशुभ हालत के बारे में लिखा है- यदि बारहवें घर में मंगल हो तो उस व्यक्ति के अट्ठाइस साल से पहले-पहले, यदि उसका बड़ा भाई हो तो, बड़े भाई की मृत्यु होती है। यहाँ एक बात का ध्यान रखना चाहिए कि ऐसा अशुभ मंगल की हालत में ही हो सकता है। दूसरे ग्रंथकारों ने बेशक इस बात का स्पष्ट वर्णन नहीं किया, कितु ये विचार काफी हद तक ठीक प्रतीत होता है। भी संघर्ष में लोग जीवन के किसी भी बारहवें घर का मंगल व्यक्ति में बहुत बड़ी मात्रा में हिम्मत पैदा करता है। ऐसे में बहुत जल्दी हार नहीं मानते । ते। अब सवाल यह पैदा होता है कि यह हिम्मत हमेशा अच्छे काम के लिए प्रयोग में आ सकती है। इसका फैसला इस बात पर निर्भर करता है कि मंगल की इस घर में स्थिति कैसी है? यह अवश्य देखने में आता है कि-मेष लग्न वालों के लिए बारहवें घर का मंगल व्यक्ति में धार्मिक वृत्ति पैदा करता है। किंतु बहुत बार ये धार्मिक वृत्ति जरूरत से ज्यादा बढ़ जाती है और आदमी में एक प्रकार का दिखावा भी पैदा हो जाता है। वह यदि किसी देवी-देवता की साधना करने लगेगा तो जरूरत से ज्यादा उसमें लगा रहेगा। एक प्रकार से अपने अंतःकरण से धार्मिक भावना की बजाय वह साधना को भी ऐसे लेगा जैसे कि वह अपने आपसे कोई युद्ध लड़ रहा हो। यह भी देखने में आता है कि इस घर के मंगल के लोग कई प्रकार की धार्मिक संस्थाएँ स्थापित करने की कोशिश भी करते हैं। लेकिन, इसमें भी कहीं-न-कहीं उनके नाम का ऐसी संस्थाओं के साथ होना भी बहुत महत्वपूर्ण होता है। कहने का अर्थ यह है कि उनकी अपनी दृष्टि से उसका बहुत महत्व होता है। इस घर में बैठे मंगल की अथाह शक्ति से कुछ और बातें भी स्पष्ट तौर से सामने आती हैं। ऐसे लोग बहुत बार अपनी शक्ति को गलत कामों में लगा देते हैं। कहीं-न-कहीं हिंसा का भाव भी होता है। इसीलिए कुछ ग्रंथाकारों ने जिक्र किया है कि इस घर में मंगल होने से और यदि मंगल थोड़ा सा भी दूषित हो तो दुष्ट लोगों द्वारा उस व्यक्ति पर झूठा कलंक लगाया जाता है। ये विचार विशेषतौर पर एक प्राचीन प्रसिद्ध ज्योतिषी जीवनाथ ने प्रकट किया है। सिर्फ यह कह देना कि उस पर झूठा कलंक लगाया जाता है, वास्तव में बहुत हालातों में यदि मंगल की स्थिति बहुत अच्छी न हो तो उस व्यक्ति से कोई-न-कोई गलत कार्य, विशेषकर हिंसा का कार्य होने की संभावना होती है। जिससे कई बार वह व्यक्ति जेल तक पहुँच सकता है। इसी विचार को एक और ज्योतिषी श्री गोलप ने प्रकट किया है। उनका कहना है कि ऐसे व्यक्ति को दंड और कैद हो सकती है। लेकिन में फिर इस बात पर जोर देता हूँ कि ऐसा उसी हालत में होगा जब मंगल बहुत दूषित हो। गोलप तो यहाँ तक कहते हैं कि 'ऐसे व्यक्ति को कारागार में ही मृत्यु होती है।' ऐसी संभावना उसी हालत में हो सकती है यदि लग्न भी बहुत दूषित हो और साथ-ही-साथ मंगल भी दूषित हो। इस घर के मंगल की अथाह शक्ति का एक और रूप सामने आता है। ऐसे व्यक्ति अपने जीवन में किसी-न-किसी क्षेत्र में अपनी स्थिति के अनुसार प्रसिद्धि प्राप्त करते हैं। यदि वह नेता हों तो ऐसे व्यक्ति क्रांतिकारी स्वभाव के नेता होंगे, जिससे उनका नाम बनता हो। इसी प्रकार से वह जिस भी क्षेत्र में जाएँगे, वहाँ किसी-न-किसी प्रकार से उनका नाम पैदा होता है। नाम पैदा होने से मेरा मतलब शुभ संदर्भ में ही नहीं है। ये नाम कई बार उन लोगों के लिए बदनामी का कारण भी बन जाता है। 'आर्य ग्रंथ' में जिक्र आता है कि इस घर में मंगल होने से व्यक्ति के शास्त्रों से संबंध होते हैं। वास्तव में इस विचार का दूसरे ग्रंथकारों ने विशेषतौर पर इसका उल्लेख नहीं किया। मेरे अपने अनुभव में भी देखने में आता है कि दूषित मंगल की शक्ति का दुरुपयोग किसी पराई स्त्री के कारण होता है। हाँ, इसमें शायद आर्य ग्रंथों का आधार इस बात पर होगा कि बारहवें घर में बैठा हुआ मंगल अपनी आठवीं दृष्टि से सातवें घर को देखता है, किंतु सातवें घर को हम पर-स्त्री कहने की बजाय पहले उस व्यक्ति की पत्नी के बारे में सोचना चाहिए। शायद पत्नी के संबंध में किसी हद तक इस मंगल का प्रभाव पड़ सकता है, क्योंकि कुछ लोगों के विचार में बारहवें घर में बैठा हुआ मंगल भी कुछ हद तक मंगलीक दोष पैदा करता है। मंगल की सातवें घर पर आठवीं दृष्टि से कुछ कुंडलियों में ये जरूर देखने में आता है कि उनकी पत्नी का जीवन बहुत सुखमय नहीं होता। इसका कारण कुछ भी हो सकता है। आर्थिक स्थिति, पति-पत्नी के आपसी संबंध में मतभेद या संयुक्त परिवार की कलह का कारण हो सकते हैं। इस घर का मंगल इस बात की ओर भी इशारा करता है कि बीते हुए पिछले जन्म में वह व्यक्ति पुरुष था। सर्वश्रेष्ठ अंकशास्त्री के अनुसIर अगर यहाँ मंगल अशुभ हो तो इसके साथ ही यह संकेत भी मिलता है कि पिछले जन्म में मौत जरूर दुर्घटना से हुई होगी, और वह भी जवान उम्र में। शायद पिछले जन्म की इस दुर्घटना का संबंध किसी-न-किसी रूप में इस जन्म में भी रहता है। जैसा कि मैंने पहले वर्णन किया था कि यहाँ मंगल होने से व्यक्ति के दिल में एक प्रकार से हिंसा की भावना जरूर रहती है। अगर मंगल बहुत दूषित हो तो यह हिंसा ही उस व्यक्ति को दूसरों पर शारीरिक चोट पहुँचाने का कारण बनती है। यदि बहुत ही अशुभ अवस्था में मंगल हो तो ऐसे व्यक्ति के द्वारा किसी की मौत (हत्या) भी हो सकती है। यही कारण है कि कुछ ग्रंथाकारों ने यहाँ इनके कारणों को छोड़कर, इस बात का जरूर जिक्र किया है कि उस व्यक्ति की जेल जाने की संभावना बहुत हद तक रहती है। बारहवें घर में यदि मंगल के साथ बृहस्पति हो तो मंगल का फल बहुत शुभ हो जाता है। इसके फलस्वरूप उस व्यक्ति का परिवार बढ़ता है और वह व्यक्ति स्वयं भी जीवन में सुख और आराम पाता है। लाल किताब में जिक्र आता है कि ऐसा व्यक्ति यदि किसी को आशीर्वाद दे तो ऐसा आशीर्वाद दूसरे व्यक्ति के बहुत-से क्लेशों को काट देता है। लेकिन यदि वह किसी को बुरे वचन, बद्दुआ दे तो उसका अपना ही नुकसान होता है। बारहवें घर में मंगल के साथ चंद्र का होना मन की शांति तो देता है, किंतु जीवन में किसी-न-किसी प्रकार की समस्याएँ भी खड़ी रखता है। क्योंकि, लाल किताब के उसूल के अनुसार बारहवें घर का चंद्र एक तरह से खुशी पर काला धब्बा होता है। जीवन बेशक भरा-पूरा हो, मगर ऐसे व्यक्ति को संपूर्ण खुशी नहीं मिलती । मंगल के साथ शनि का होना इस घर में शुभ फल देता है। इसमें मंगल और शनि दोनों का अच्छा फल पूर्ण रूप से देखने में आता है। आमतौर पर ये शुभ फल उस स्थिति में जागता है, जब ऐसा व्यक्ति अपने खानदान के दूसरे लोगों के साथ मिलकर यज्ञ करें। यानी वह व्यक्ति यदि अपने खानदान के लोगों के साथ मिलकर यज्ञ करे, तो उसका विशेष रूप से भाग्योदय होता है। यहाँ यह भी देखने में आता है कि मंगल शनि का इस घर में होना पैसे की बरकत भी देता है, किंतु यदि मंगल और केतु इस घर में हों तब पैसे की बरकत में बहुत हद तक कमी आ जाती है और उस व्यक्ति का धन बहुत हालातों में भावनात्मक आवेश में आकर खर्च हो जाता है या उसकी जिद की वजह से पैसे का बहुत बड़ा नुकसान होने की संभावना रहती है। बहुत साल पहले की बात है, मैं ऐसे व्यक्ति को जानता हूँ जिसकी कुंडली में मंगल और केतु एक साथ थे। उसके पास एक ट्रक था जो उसके माँ-बाप और भाई-बहन के निर्वाह का एकमात्र साधन था। एक दफा वह किसी दूसरे शहर में कुछ अनजाने लोगों के साथ बैठकर जुआ खेलने लगा और जिद-जिद में हारते-हारते वह अंत में ट्रक भी हार गया। उसके बाद परिवार के लोगों को बहुत साल तक गरीबी का जीवन व्यतीत करना पड़ा। इस भाव में मंगल के साथ सूर्य शुभ फल देता है। व्यक्ति की आमदनी बेशक कम ही हो, फिर भी उसकी कमाई में बरकत रहती है। इस स्थान पर मंगल के साथ शुक्र की यति होने से जातक की पत्नी के स्वास्थ्य पर तो भले ही बुरा असर होता हो. परंत उसकी अपनी आर्थिक स्थिति पर कोई अशुभअसर नहीं होता । यहाँ बारहवें घर में मंगल के साथ बुध होने से दोनों ग्रहों का फल अशुभ हो जाता है जिसके कारण जातक के अपने भाइयों, बुआ, बहन या बेटी के बारे में किसी-न-किसी प्रकार की चिंता बनी रहती है। इस स्थान पर दोनों प्रहों के इकट्ठे होने से व्यक्ति के धन की ऐसी चीजों पर खर्च होने की संभावना भी रहती है जिससे उसे कोई खुशी प्राप्त न हो। इस घर में मंगल के साथ राह की यति होने से राह जातक को पूरी तरह बुरा फल नहीं दे सकता। लाल किताब में राह को हाथी कहा है और मंगल को महावत कहकर पुकारा है. जो लोहे के अंकश से हाथी को सीधे रास्ते पर चलाता है। अपने वर्तमान को अच्छा और 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English:
Understanding the nature of Mars in the twelfth house is quite difficult, as it contains both virtues and vices in intense measure. One auspicious point, according to Lal Kitab, is that if Mars is in the twelfth house, Rahu will not cause mischief anywhere else in the horoscope, which greatly reduces the occurrence of sudden negative events. Although the great astrologer Garg stated in his 'Garg Samhita' that such a person resents their relatives, and the father of astrology Parashara even mentioned the death of a sibling, I believe these dire outcomes are generally linked to an afflicted Mars, especially when it is in conjunction with the Sun and Saturn or aspected by Ketu. The twelfth house Mars for an Aries ascendant gives a person immense courage and ambition, which can be used for either good or ill. It often makes a person religious, but this can manifest as an overzealous display of devotion rather than a true inner spiritual path, sometimes leading to the establishment of religious organizations. This position can also suggest a tendency towards violence or aggression, which can lead to legal troubles or even imprisonment, particularly if Mars is highly afflicted. This placement also hints that in a previous life, the person was male and may have died young in an accident, with a subtle echo of that trauma remaining in this life. The conjunction of planets in this house yields important results. Jupiter with Mars is very auspicious, bringing family growth and well-being, though Lal Kitab warns against using one's words to curse others, as this brings harm to oneself. According to Best Numerologer Mars with the Moon provides peace of mind but can also create problems, and if Saturn is in a poor state, the person may become greedy for money. Mars with Saturn is highly beneficial and blesses wealth earned through hard work. The person's fortune specifically rises if they perform a yagna with their family members. However, if Mars and Ketu are in conjunction, there can be a great reduction in wealth due to emotional impulsiveness or stubbornness. When Mars is with the Sun, the person's earnings are blessed, even if their income is low. Mars and Venus together are good for a native's financial status, but may negatively affect their spouse's health. Mars with Mercury can cause worries related to siblings and unnecessary spending on things that bring no happiness. Finally, in the Mars-Rahu conjunction, Lal Kitab likens Mars to a mahout (elephant driver) guiding Rahu (the elephant), which prevents Rahu from causing entirely negative effects, although the potential for sudden expenses remains.
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