Ganesh Visarjan
गणेश चतुर्थी:
इस गणेश चतुर्थी पर, विघ्नहर्ता भगवान गणेश आप पर समृद्धि, ज्ञान और खुशियों की वर्षा करें। ज्योतिषाचार्य भाग्यराज गुप्त की ओर से आपको आनंदमय और शुभ उत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं। भगवान गणेश की दिव्य उपस्थिति आपके जीवन को सकारात्मकता और सफलता से भर दे। हम आशा करते हैं कि यह उत्सव का मौसम आपके और आपके प्रियजनों के लिए अपार आनंद और तृप्ति लेकर आए। *अनंत चतुर्दशी को गणेश विसर्जन का दिन माना जाता है क्योंकि यह दिन हिन्दू पंचांग के अनुसार गणेश चतुर्थी के बाद चौदह दिन तक गणेश उत्सव मनाया जाता है, जिसमें भगवान गणेश की मूर्ति पूजन की जाती है। इसके बाद गणेश मूर्ति को विसर्जित किया जाता है। अनंत चतुर्दशी भगवान गणेश के पूजन के आखिरी दिन के रूप में मनाया जाता है। इस दिन मूर्ति को गणेश विसर्जन के लिए नदी,समुंदर या अन्य जल स्रोत में डाला जाता है। यह पारंपरिक रूप से गणेश उत्सव का अवसर होता है। लोग इस अवसर पर भगवान गणेश को विदा करते हैं और उनकी आशीर्वाद की प्राप्ति के लिए प्रार्थना करते हैं। गणेश विसर्जन का यह पर्व विशेष रूप से महाराष्ट्र, गुजरात, और अन्य पश्चिमी भारतीय राज्यों में महत्वपूर्ण होता है और बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। *श्री गणेश स्थापना व विसर्जन की परंपरा *धर्म ग्रंथों के अनुसार महर्षि वेद व्यास ने महाभारत ग्रंथ की रचना करने का निर्णय लिया और इस दिव्य अनुष्ठान को संपन्न करने के लिए वेदव्यास जी ने गंगा नदी के किनारे एकांत पवित्र स्थल का चुनाव किया। लेखन का कार्य महर्षि के वश का नहीं था। इसलिए उन्होंने इसके लिए भगवान श्री गणेश की आराधना की और उनसे प्रार्थना करी कि वे एक महाकाव्य जैसे महान ग्रंथ को लिखने में उनकी सहायत करें। गणपति जी ने सहमति दी और दिन-रात लेखन कार्य प्रारम्भ हुआ। इसके लिए महर्षि वेद व्यास ने गणेश चतुर्थी वाले दिन से ही भगवान गणेश को लगातार 10 दिन तक महाभारत की कथा सुनाई थी जिसे श्री गणेश जी ने अक्षरशः लिखा था। महर्षि वेद व्यास जी ने भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की पूजा की और लेखन का शुभ कार्य आरंभ कर दिया। महाकाव्य कहे जाने वाले महाभारत ग्रंथ का लेखन कार्य लगातार 10 दिनों तक चला और अनंत चतुर्दशी के दिन यह लेखन कार्य संपन्न हुआ। लेकिन जब कथा पूरी होने के बाद महर्षि वेदव्यास ने आंखें खोली तो देखा कि इस दिव्य काव्य के तेज व अत्याधिक मेहनत करने के कारण गणेश जी के शरीर का तापमान बढ़ा हुआ है। ऐसे में गणेश जी के शरीर का तापमान कम करने के लिए महर्षि वेदव्यास जी ने गंगा नदी में गणेश जी स्नान करवाया। अनंत चर्तुदशी के दिन गणेश जी के तेज को शांत करने के लिए गंगा नदी में स्नान कराया गया था, इसीलिए इस दिन गणेश प्रतिमा का विसर्जन करने का चलन भी शुरू हुआ। पौराणिक ग्रंथों में भी गणेश प्रतिमा के विसर्जन का उल्लेख किया गया है।
Ganesh Chaturthi:
On this Ganesh Chaturthi, Astrologer Bhagyaraj Gupt wishes everyone prosperity, knowledge, and happiness, hoping the divine presence of Lord Ganesha fills lives with positivity and success; while the Ganesh Utsav spans fourteen days culminating in Ganesh Visarjan on Anant Chaturdashi, where idols are immersed in water bodies with great fanfare, particularly in western India, this tradition stems from the mythological tale of Maharishi Ved Vyas narrating the Mahabharata to Lord Ganesha for ten continuous days starting on Ganesh Chaturthi, with Ganesha writing it down until Anant Chaturdashi, after which, due to the intensity of the task, Ved Vyas cooled Ganesha down in the Ganges, thus establishing the practice of immersing the Ganesh idol to symbolize his return to his heavenly abode and the completion of the festival.