Angarak Yoga, a significant astrological combination, occurs when Mars and Rahu conjunct in a birth chart. This fiery conjunction is often associated with heightened aggression, impulsiveness, and conflict. Individuals with Angarak Yoga may experience challenges related to anger management, strained relationships, and sudden, unexpected events. The intensity of this yoga varies depending on the signs and houses involved. While it can bring obstacles, it also presents opportunities for transformation and harnessing inner strength through self-awareness and remedial measures. Consulting with a knowledgeable astrologer can provide personalized insights and guidance to mitigate the negative effects and leverage the potential of Angarak Yoga.
Angarak Yog: बेहद खतरनाक है राहु मंगल से बना अंगारक योग, जानें सभी भावों पर इसका प्रभावअंगारक दोष क्या है?
अंगारक दोष तब बनता है जब कुंडली के किसी भी भाव में राहु और मंगल की युति हो। यह दोष तब अपना प्रतिकूल और हानिकारक प्रभाव देता है जब जन्म कुंडली में राहु और मंगल की स्थिति अशुभ होती है।
मंगल और राहु दोनों ही अशुभ ग्रह हैं इसलिए इन दोनों का मिलना अपने आप में एक बड़ा दोष है। "अंगारक दोष" में अंगारक अग्नि को दर्शाता है जो मंगल की प्रकृति है। इसी प्रकार जातक गर्मी और आक्रामकता से पीड़ित होता है।
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार मंगल वह ग्रह है जो ऊर्जा, क्रिया, सहनशक्ति, साहस, इच्छा-शक्ति, आत्म-नियंत्रण और आत्मविश्वास जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों या कारकों का प्रतिनिधित्व करता है। यदि मंगल उच्च भाव में हो तो वह किसी भी जातक के लिए शुभ मन जाता है लेकिन वहीं अगर मंगल छाया ग्रह राहु की संगति में हो तो वह विभिन्न प्रतिकूल परिस्थितियों को जन्म देता है। इस संयोजन के कारण, मंगल के गुणों में तीव्रता से वृद्धि होती है, लेकिन आवश्यक रूप से परिष्कृत तरीके से नहीं। यह योग किसी व्यक्ति को किस प्रकार प्रभावित करता है और विभिन्न भावों में इस योग की क्या विशेषताएं होती हैं। जब किसी व्यक्ति की कुंडली के किसी घर में राहु और मंगल ग्रह साथ-साथ हों तो अंगारक योग बनता है और अंगारक योग एक अशुभ योग है। जिस भाव में यह योग बन रहा है, उसी को पीड़ित कर देता है। मंगल और राहु के योग से बनने वाला अंगारक योग यदि शुभ नक्षत्र, शुभ राशि, व अनुकूल भाव में बन जाए तो यह कई बार बड़ी सफलता, यश-मान भी दिलाता है जैसे-: यह व्यक्ति को स्पोर्ट मैन, फौज- पुलिस में बड़ा अधिकारी, सर्जन- डॉक्टर भी बना सकता है। आइए जानते हैं सभी भावों में अंगारक योग के प्रभाव के बारे में।
सामान्य लक्षण
मंगल ग्रह की महिला जातक बहुत सच्ची होती हैं और असभ्य और स्पष्टवादी होने के कारण कई लोगों को ठेस पहुंचाती हैं। पुरुष जातक आक्रामक और शंकालु होते हैं। वे चाहते हैं कि उनकी पार्टनर हाउसवाइफ ही हो। वे स्वभाव से विनाशकारी और अहंकारी हो सकते हैं।
राहु की स्त्री जातक साफ-सफाई की शौकीन होती हैं। इन्हें अपनी हाई लाइफ स्टाइल पर खर्च करना पसंद होता है। वे शादी के बाद भी पुरुषों के प्रति आकर्षण महसूस करती हैं। पुरुष जातक स्वार्थी और कामुक होते हैं। वे हर तरह की महिलाओं से फ़्लर्ट कर सकते हैं। उन्हें यात्रा करना बहुत पसंद है.
यदि राहु और मंगल 1, 5 और 11वें भाव में हों तो जातक को संतान प्राप्ति में समस्या आती है।
सकारात्मक प्रभाव
यदि ग्रह शुभ हों तो जातक का रुझान राजनीति की ओर होगा और सफल होगा।
यदि जातक बहुत मेहनती और सक्रिय है, तो वह सफल होगा और नई ऊंचाइयां हासिल करेगा।
जातक साझेदारी व्यवसाय में खूब धन कमाएगा।
यदि लग्नेश और भाग्य पक्ष शुभ हो तो जातक धनवान होता है।
नकारात्मक प्रभाव
जब राहु और मंगल अशुभ हो जाते हैं तो परिणाम स्वरूप निम्नलिखित प्रभाव आते हैं।
यदि जातक राजनीति चुनता है तो उसे शांति नहीं मिलेगी।
जातक को संपत्ति संबंधी मामलों में रुकावटें आएंगी।
जातक बहुत आक्रामक होगा जिसके कारण परिवार से अचानक अलगाव हो सकता है।
जातक को आलसी, आक्रामक और स्वार्थी नहीं होना चाहिए, यह अशुभ है।
जातक हिंसक एवं गुस्सैल स्वभाव का होगा जिससे उसमें नकारात्मकता एवं बदले की भावना उत्पन्न होगी।
महिला जातक का लहजा चिढ़ाने वाला और आक्रामक होगा जिसके कारण उसका वैवाहिक जीवन दुखी हो सकता है।
व्यवसाय में ग़लतफहमियों के कारण जातक को हानि होगी।
जातक को पैतृक संपत्ति पर अधिकार नहीं मिल पाएगा।
जातक को बहुत संघर्ष करना पड़ेगा।
जातक को नियमित रूप से डॉक्टरों और वकीलों के पास जाना होगा।
जातक को पेट से संबंधित परेशानियां हो सकती हैं।
यदि लग्नेश और भाग्य पक्ष मजबूत नहीं है तो जातक अपना सब कुछ खो देगा।
जातक की माता की मृत्यु जल्दी हो सकती है या वह अधिकतर समय बीमार रहती है।
लग्न भाव
कुंडली के लग्न भाव यानी प्रथम भाव में अंगारक योग बनना सबसे अधिक खतरनाक है। इस घर में अंगारक योग बनने पर व्यक्ति को पेट संबंधित बीमारियों से जूझना पड़ता है, उसे शारीरिक चोटों का सामना करना पड़ता है। ऐसा व्यक्ति अस्थिर मन वाला और क्रूर हो जाता है।
दूसरा भाव
कुंडली के दूसरे घर में अंगारक योग बनने पर व्यक्ति का जीवन आर्थिक लिहाज से उतार-चढ़ाव वाला हो जाता है।
तीसरा भाव
कुंडली के तीसरे घर में अंगारक योग बनना रिश्ते पर प्रतिकूल असर डालता है। ऐसे व्यक्ति के भाइयों से संबंध कड़वे रहते हैं। यह व्यक्ति धोखेबाजी से सफलता प्राप्त करने की कोशिश करता है। इस भाव में बना हुआ अंगारक योग काफी बार फौज- पुलिस- स्पोर्ट मैन - डॉक्टर बनने के भी अच्छे योग बनता है।
चौथा भाव
चौथे भाव में अंगारक योग बनने पर माता को दुख प्राप्त होता है, ऐसे व्यक्ति को भूमि विवाद भी झेलना पड़ता है। जमीन- जायदाद संबंधित केस- मुकदमों का सामना करना पड़ सकता है।
पांचवां भाव
कुंडली के पांचवें भाव में अंगारक योग बनने पर संतानहीनता हो सकती है। यह योग जुए सट्टे से लाभ भी दिलाता है।
छठां भाव
कुंडली के छठें भाव में अंगारक योग बनने पर ऋण लेकर किए कार्य में उन्नति होती है। इस योग के कारण कुंडली में शुभ-अशुभ ग्रहों की परिस्थिति के अनुसार व्यक्ति कातिल या सर्जन भी बन सकता है।
सातवां भाव
कुंडली के सप्तम भाव में अंगारक योग बनने पर व्यक्ति को वैवाहिक जीवन में परेशानी का सामना करना पड़ता है। यह योग व्यक्ति को नाजायज संबंध वाला, विधवा या विधुर बना सकता है। यह अंगारक दोष दांपत्य जीवन में लड़ाई- झगड़ा- मुकदमे देने वाला होता है।
आठवां भाव
कुंडली के अष्टम भाव में अंगारक योग बनने से व्यक्ति को पैतृक संपत्ति मिलती है लेकिन वह उसे बर्बाद कर देता है और अष्टम भाव का अंगारक दोष लड़ाई- झगड़ा केस- मुकदमे, सड़क दुर्घटना का प्रबल योग बनाता है।
नवम भाव
कुंडली के अष्टम भाव में अंगारक योग व्यक्ति को भाग्यहीन, वहमी, रूढ़ीवादी और तंत्रमंत्र में लिप्त रहने वाला बनाता है। यदि यह अंगारक योग शुभ राशि व शुभ नक्षत्र में बन जाए तो व्यक्ति का भाग्य भी चमका सकता है।
दसवां भाव
कुंडली के दशम भाव में अंगारक योग व्यक्ति को मेहनती, कर्मठ और स्पोर्ट्समैन, फौज, पुलिस सर्जन बना सकता है। ऐसे व्यक्ति जीवन में अत्यधिक सफल होते हैं।
ग्यारहवां भाव
ऐसे व्यक्ति को प्रॉपर्टी से लाभ मिलता है। हालांकि ग्यारहवें भाव में अंगारक योग जातक को चोर, कपटी और धोखेबाज भी बना सकता है। ऐसा व्यक्ति बेईमान से बहुत धन प्राप्त करता है।
बारहवां भाव
ऐसा व्यक्ति जिसके 12वें भाव में अंगारक योग बनता है, वह आयात-निर्यात में सफल होता है। ऐसे व्यक्ति को रिश्वतखोरी से लाभ मिलता है। ऐसा अंगार योग संपत्ति बर्बाद करा सकता है और चरित्र में भी दोष उत्पन्न कर सकता है।
उपचार
व्यक्ति को नियमित रूप से दिन में तीन बार शहद का सेवन करना चाहिए।
हनुमान जी की पूजा करें और सिन्दूर चढ़ाएं।
जातक भगवान गणेश की पूजा करके अशुभ प्रभावों को कम करने में सक्षम हो सकता है।
देवी लक्ष्मी, सरस्वती और भगवान शिव की एक साथ पूजा करें। देवी लक्ष्मी की पूजा कभी भी अकेले न करें।
परिवार के मुखिया को झाड़ू से घर की सफाई करनी चाहिए।
मीठी रोटी बनाकर गली के कुत्तों को खिलाएं।
घर पर राहु शांति पूजा का आयोजन कर सकते हैं।
रोहिणी नक्षत्र में चंद्रमा के साथ मां लक्ष्मी की पूजा करें।
जातक को ध्यान करना चाहिए और विवादों से दूर रहना चाहिए।
घर पर सत्संग का आयोजन करें और गुरुओं को आमंत्रित करें।
व्यक्ति को मंदिरों में जाकर शांतिपूर्वक प्रार्थना करनी चाहिए।
चांदी की गेंद धारण कर सकते हैं।
हर शाम एक दीया जलाएं.
जातक को मंगलवार के दिन तांबे, चांदी और सोने से बनी तीन मुखी अंगूठी पहननी चाहिए।
अपनी माँ का आदर और सेवा करें।
जातक को नवमी, चतुर्दशी और चतुर्थी के दिन लक्ष्मी पूजन नहीं करना चाहिए।
जातक घर में मिट्टी के बर्तन में सिन्दूर रख सकता है।
जातक घर में श्री यंत्र या कुबेर यंत्र रख सकते हैं।
जातक अपने सिरहाने के पास पानी से भरा बर्तन रख सकता है।