Hindi:
धनु लग्न के स्वभाव को ठीक तरह से समझने के लिए हमें धनु राशि की आकृति और उसके स्वरूप को समझना बहुत जरूरी है।। हमारे बहुत से प्राचीन ग्रंथों में यह दर्शाया गया है कि धनु राशि का आधा धड़ हिरन का है तथा उसके ऊपर का आधा भाग मनुष्य का है। सर्वश्रेष्ठ ज्योतिषी के अनुसार मनुष्य के एक हाथ में कमान है और दूसरे हाथ में तीर पकड़ा हुआ है। लेकिन कुछ और विचारकों ने कहा है कि वास्तव में इसके शरीर के नीचे का हिस्सा हिरन का नहीं बल्कि घोड़े का है। इस संबंध में हमें प्राचीन ग्रंथों में से 'चतुर्वर्ग चिंतामणि' के विवरण पर अधिक विश्वास करना चाहिए। 'चतुर्वर्ग चिंतामणि' के अनुसार/धनु राशि का प्रतीक ऐसा है कि यह एक मनुष्य है-जिसके नीचे का धड़ घोड़े का है तथा ऊपर का हिस्सा मनुष्य का है। इसके बाएं हाथ में कमान यानी धनुष है तथा दाएं हाथ से इस कमान पर चढ़े हुए तीर को पूरी तरह इस तरह से खींचे हुए है कि जैसे अभी इस तीर को किसी निशाने पर लगा देगा। धनु राशि का यह स्वरूप हमें धनु राशि के चरित्र के बारे में समझने के लिए महत्त्वपूर्ण सहायक प्रतीक है। यह ठीक है कि धनु लग्न के व्यक्ति का प्रतीक एक शिकारी, जो अपने शिकर के लिए पूरी तरह से तैयार खड़ा है, लेकिन उसका शिकार कौन हो सकता है? या उसका शिकार कहां है? - उसके बारे में इस प्रतीक से कुछ समझ में नहीं आता। इसलिए शायद धनु लग्न के व्यक्ति की शक्ति का प्रवाह किस ओर हो उसके बारे में अंदाजा लगाना मुश्किल होता है। धनु लग्न के व्यक्ति, अपनी शक्ति के प्रवाह को सृजनात्मक या शुभ पथ पर प्रयोग में लाएंगे या इसके विपरीत चलेंगे-इसके लिए हमें इस बात का ध्यान रखना बहुत आवश्यक है कि धनु लग्न में कौन-सा ग्रह स्थित है। यह ठीक है कि धनु लग्न का स्वामी ग्रह बृहस्पति है, किंतु लग्न में बैठे हुए ग्रह का महत्त्व एक प्रकार से इसके स्वामी ग्रह से भी ज्यादा बढ़ जाता है। यदि धनु लग्न में बृहस्पति, सूर्य तथा मंगल हों तो धनु लग्न की शक्ति का प्रयोग उसे जीवन के अच्छे पथ पर ही ले जा सकता है। लेकिन यदि धनु लग्न में राहु या बुध हो तो इसके रास्ते वास्तव में, धनु लग्न के लोगों के लिए अपनी व्यक्तिगत स्वतंत्रता बहुत महत्त्वपूर्ण है। वह किसी भी कीमत पर इसको छोड़ना नहीं चाहते। वह अपने जीवन में और किसी भी लग्न के मुकाबले में सबसे ज्यादा स्वतंत्रता पसंद करते हैं। शायद यही कारण है कि कई बार धनु लग्न के लोग अपने किए हुए वायदे को पूरा करने में भी कतराते हैं। इसका अर्थ यह नहीं है कि वह किसी लालच के कारण ऐसा करते हैं। वह अपने दिमाग की बजाय मन पर चलने के ज्यादा आदी होते हैं और आसपास के लोग उनके बारे में क्या सोचते हैं- इसकी परवाह नहीं करते। अपने किए हुए वायदे से मुकर जाना उनके मन में किसी प्रकार का संताप पैदा नहीं करता। यदि हम ध्यान से देखें तो धनु लग्न में, आठवें घर में कर्क राशि पड़ती है-जिसका स्वामी चंद्रमा है और चंद्रमा हमारे मन का कारक है। चंद्रमा की राशि अष्टम स्थान में पड़ने के कारण उन पर चंद्रमा का प्रभाव अधिक स्थिर नहीं रहता। इसलिए उनके मन में जो आता है, उसके विपरीत जाने की वह परवाह नहीं करते। लेकिन इसका यह अर्थ नहीं कि उन लोगों के मित्रों की संख्या कम होती है क्योंकि धनु लग्न वालों के लिए सातवें घर में बुध की राशि मिथुन पड़ती है, जिसके फलस्वरूप उनका मित्र-वर्ग विस्तृत होता है, लेकिन उनमें से बहुत से मित्र स्थायी रूप में हमेशा के लिए मित्र नहीं बने रह सकते। केवल वही लोग उनके हमेशा के लिए मित्र रह सकते हैं जो उनके स्वभाव की अस्थिरता तथा उनके जरूरत से ज्यादा स्वतंत्रता के चरित्र को जानते हुए, उनको एक भोले बच्चे की तरह समझ कर माफ कर सके। इसलिए उनके मित्रों का वर्ग यानी स्थायी मित्रों की संख्या धीमे-धीमे बढ़ती है, किंतु उनके मित्र होकर शत्रु बनने वाले लोगों की संख्या कुछ ज्यादा ही तेजी से बढ़ती है। मेरे देखने में आया है कि कुछ लोग जब धनु लग्न वालों के बहुत नजदीक आ जाते हैं, तो इससे उन लोगों के लिए कई प्रकार की समस्याएं पैदा होती हैं। कई बार ऐसे व्यक्ति अपने मित्रों से इस तरह की अपेक्षा करते हैं, जो उनके लिए पूरा करना असंभव भी हो सकता है। ऐसी स्थिति में नजदीक आए हुए लोग असमंजस में पड़ जाते हैं। मेरे जानने वालों में से एक धनु लग्न की सुंदर युवती एक बार एक शादीशुदा और अंगहीन व्यक्ति के संपर्क में आई और वह व्यक्ति अपनी पूरी कोशिश से उसके नजदीक आने की कोशिश करने लगा और कुछ ही दिनों में उनकी मित्रता बहुत घनिष्ठ रूप में बदल गई। उसके कुछ दिन बाद ही उस युवती ने उस व्यक्ति से शादी करने का वायदा किया और साथ में यह शर्त भी रखी कि वह अपनी पहली पत्नी और बाल-बच्चों को छोड़कर उसके साथ शादी कर ले। कुछ देर के लिए वह व्यक्ति भी उस युवती के प्रेम-चक्कर में इतना पड़ा कि शादी के बारे में विचार करने की भावना उसके मन में साकार रूप लेने लगी। पर जाने के लिए एक रुकावट की तरह हो सकता है या कुछ हालातों में ऐसा व्यक्ति पथभ्रष्ट भी हो सकता है। कुछ प्राचीन ग्रंथों में कहा गया है कि धनु लग्न का व्यक्ति जब पथभ्रष्ट होता है तो वह अपने तीर ठीक तरह से प्रयोग में नहीं ला सकता। वह अपनी इच्छाओं के शुभ न होने के कारण बहुत महत्त्वाकांक्षी हो सकता है और वह अपने तीर आकाश के सितारों-चांद या सूरज तक बात करने के लिए फेंकता है। लेकिन पृथ्वी पर खड़ा कोई व्यक्ति सूर्य-चांद या तारों को अपने तीर का शिकार नहीं बना सकता। इसलिए ऐसे व्यक्ति के तीर कुछ सीमा तक ऊपर जाकर जब वापिस आते हैं, तो वह उसके अपने ही शरीर में गड़ जाते हैं-जिसके कारण वह अपनी महत्त्वाकांक्षा को पूर्ण करने की बजाय अपनी बहुत ज्यादा महत्त्वाकांक्षा के कारण कष्ट भोगता है। इस तरह के कष्ट या त्रासदी को लेकर वह बहुत पछतावा नहीं करता और फिर थोडी देर के बाद अपनी असफलता व अपने दुःख को भूल जाता है और नए सिरे से प्रयास में लग जाता है। शायद यही कारण है कि धनु लग्न के व्यक्ति अपने जीवन में किसी भी दुःखदायी घटना या स्थिति के कारण बहुत देर तक पश्चात्ताप में पड़े नहीं रहते या वह उससे कुछ सीख नहीं पाते। उनके जीवन में जब कुछ भी बुरा होता है तो वह केवल थोडी देर के लिए उनके बारे में अनुभव करते हैं और दूसरे ही पल वह उसको भूल जाते हैं तथा नए रास्तों की तलाश में निकल पडते हैं। शायद आप जानते ही हैं कि कई बार शिकारी पूरे दिन घूमते रहते हैं, किंतु फिर भी उनके हाथ में कोई शिकार नहीं लगता। ऐसी हालत में भी शिकारी, दूसरे लोगों की तरह अपने काम में सफल न होने की निराशा जैसा अनुभव नहीं करते; बल्कि उनकी यह तलाश ही उनकी मंजिल होती है। यह तलाश धनु लग्न के व्यक्तियों के जीवन का एक बहुत महत्त्वपूर्ण अंग है। जीवन के हर पक्ष में वह व्यक्ति तलाश में ही लगा रहता है। यदि उसके लग्न में शुभ ग्रह बैठे हों तो यह तलाश उसके जीवन के रहस्यों-आध्यात्मिक तथा जीवन में ऊंचा उठने के मार्ग पर ले जा सकती है, किंतु यदि लग्न में अशुभ ग्रह बैठे हों तो उसकी तलाश झूठ बोलना या बेकार दूसरों के बारे में जरूरत से ज्यादा जानने की उत्सुकता रखना या कई बार चुगली तक की आदत होना आदि इस प्रकार के चरित्र को प्रकट करती है। धूप या वर्षा की परवाह न करते हुए शिकारी अकेला ही जंगलों में किसी शिकार की तलाश में घूमता है। इसलिए सामाजिक दृष्टि से धनु लग्न के लोगों पर यह दोष लगाया जाता है कि वे अपने परिवार के लोगों की या अपने मित्र वर्ग के लोगों की राय को बहुत महत्त्व नहीं देते । वास्तव में यदि इस बात को हम दूसरी दृष्टि से देखें तो इस तथ्य को सही अर्थ में समझना आसान हो जाएगा लड़की के मां-बाप को इस बात का पता चला तो उनके लिए यह आकाश से बिजली टूट गिरने वाली बात थी क्योंकि लड़की एक अच्छे सम्मानित तथा सुशिक्षित परिवार से संबंध रखती थी और दूसरी ओर वह व्यक्ति दूसरे धर्म से संबंध रखने वाला था। आखिर में, उस व्यक्ति ने जब गंभीरता से विचार किया तो उसे अपनी गलती का बहुत अहसास हुआ और वह अपने मित्रों से कहता भी रहा कि मैं वास्तव में ही बेवकूफ बन गया था। बाद में उस व्यक्ति के इंकार करने पर, उस सुंदर युवती ने दूसरे दिन ही उस व्यक्ति को अपने मन से ऐसे निकाल दिया जैसे वह कभी उससे मिली ही नहीं थी। धनु लग्न के व्यक्तियों में बुद्धि की कोई कमी नहीं होती तथा उनमें से बहुत से लोग बुद्धिजीवी लेखक तथा किसी-न-किसी सृजनात्मक काम में सफल होने की बहुत बड़ी संभावना रखते हैं। लेकिन सामाजिक क्षेत्र में उनको सफल नहीं कहा जा सकता। वे अपने शिकारी स्वभाव को सामाजिक क्षेत्र में भी लागू करने की कोशिश करते हैं। जैसे शिकारी अपने शिकार को देखकर दुनिया की हर चीज को भूलकर केवल एक तीर छोड़ देता है, इसी तरह धनु लग्न के व्यक्ति जब लोगों के समूह में बैठे होते हैं तो उनके मन में जो बात आती है-वह बिना सोचे-विचारे कह देते हैं और कई बार इस तरह की बात का कहना उस समूह में बैठे लोगों को बहुत असमंजस में डाल देता है। मिसाल के तौर पर मेरे जानने वालों में से एक व्यक्ति धनु लग्न के हैं। उनकी तीन बहनें हैं और शायद उनके परिवार में किसी प्रकार का पितृऋण होने के कारण उनकी दो बहनों की सगाई होने के बाद, दो-दो बार टूटी। तीसरी बार बड़ी मुश्किल से उन्हें एक अच्छा लड़का मिला और लोगों ने बड़ी सावधानी बरती कि पहली टूटी हुई सगाई का पता न चल सके। मगर वह आते ही एकदम बोला कि पहले दो बार सगाई होकर टूट चुकी है-इसके बारे में इनको बता दिया गया है या नहीं। जो लड़की को देखने आए थे वे भी एकदम हैरान हुए और परिवार वालों पर एक प्रकार से आफत की बिजली कौंध गई और लड़के वाले शादी से इन्कार करके वापिस चले गए बिना सोचे-समझे ही अपने मन में आई बात को एकदम कहने के कारण कई दफा वह दूसरे लोगों द्वारा पसंद नहीं किए जाते लेकिन इसका उन्हें कोई पछतावा नहीं होता और पछतावा न होने के कारण वह अपनी इस आदत को सुधारने की कोशिश भी नहीं करते, बल्कि जब कोई नजदीकी मित्र उनके इस स्वभाव के बारे में समझाने की कोशिश भी करता है तो उनका आमतौर पर जवाब होता है कि इससे क्या फर्क पड़ता है, मैं इन बातों की परवाह नहीं करता। भारत के कुछ आधुनिक ज्योतिषियों तथा पश्चिम व यूरोप के ज्योतिषियों के अनुसार धनु लग्न के लोग अपने शिकारी स्वभाव के कारण दूसरों को जल्दी ही अपने प्रेमजाल में फंसा लेते हैं। वास्तव में, यहां पर उनका हथियार तीर-कमान नहीं होता, बल्कि उस शिकारी जैसा जाल होता है जिसको वे जमीन पर बिछा कर दाना फेंककर सामान्यतः पक्षियों को फंसाता है। इसलिए इन लोगों के जीवन में इस तरह के प्रेम संबंध दूसरों के मुकाबले में ज्यादा आने की संभावना होती है। लेकिन ये अपने मन की अस्थिरता व स्वभाव के कारण ऐसे प्रेम संबंधों को बहुत लंबे समय तक स्थापित नहीं कर सकते। ये लोग जीवन की एक जैसी स्थिति से बहुत जल्दी ऊब जाते हैं। इसलिए कई बार ऐसे लोगों के वैवाहिक जीवन में प्रेम की वह घनिष्ठता हमेशा ही बनी नहीं रह सकती जो दूसरे लोगों के जीवन में हो सकती है। धनु लग्न में जब बृहस्पति, सूर्य, मंगल या चंद्रमा स्थित होता है तो धनु लग्न के लोग बहुत सृजनात्मक हो जाते हैं। एक मिथिहासिक धारणा के अनुसार शुभ धनु लग्न का शिकारी जब अपना तीर आकाश की ओर फेंकता है, तो वह तीर विश्व-शक्ति को अपने अंदर ग्रहण करके पुनः लौटकर उसके शरीर को लगता है-जो वास्तव में शुभता भरे परिवर्तन का ही संकेत है। इसलिए धनु लग्न के व्यक्ति दो प्रकार की अतियों में जीते हैं। अशुभ प्रकार की वृत्तियों का वर्णन तो मैं पहले ही कर चुका हूं किंतु शुभ लग्न होने के कारण या धनु लग्न पर इन शुभग्रहों की दृष्टि पड़ने पर-इन लोगों में आध्यात्मिक रुचि भी होती है। यह तो मानना ही पड़ेगा कि धनु लग्न का स्वामी बृहस्पति है जो ज्ञान, आध्यात्मिकता, धार्मिक विश्वास तथा शुभ कार्यों का कारक है। धनु लग्न वालों के लिए, बृहस्पति लग्न का स्वामी होने के अलावा चौथे भाव यानी मन के भाव का कारक भी होता है यदि चंद्रमा शुभ हो तो ऐसे व्यक्ति अपनी बुद्धि का प्रयोग शुभ कामों के लिए करते हैं। बहुत बार देखा गया है कि धनु लग्न के व्यक्ति, जब शुभ प्रभाव से प्रेरणा लेते हैं तो वह बिना किसी खुदगर्जी के दूसरों के काम आने के लिए सबसे आगे होते हैं और दूसरों के काम आने में यदि उनका नुकसान भी हो तो वह उसकी परवाह नहीं करते। इसलिए उनके बहुत से मित्र जिंदगी भर उनके अहसानमंद रहते हैं। लेकिन धनु लग्न के लोगों को इस तरह के अहसान की कोई परवाह नहीं होती, क्योंकि जो उनकी मर्जी में आया उन्होंने किया और वह दूसरों से प्रशंसा की भीख नहीं मांगते । बल्कि कोई प्रशंसा करे तो उसको भी एक मजाक के तौर पर- 'छोडो यार, यह भी कोई बात हुई' कहकर टाल देते हैं। लोगों से बहुत कम बात करते है। इसका कारक वास्तव में उनका अहम् नहीं धनु लग्न के लोग अपनी समस्याओं तथा अपनी चिंताओं के बारे में दूसरे है; कितु उनकी वास्तविक समस्याएं और चिंताएं उन पर इतना ज्यादा प्रभाव नहीं डालतीं कि वह इसके बारे में बहुत ही चिंतित या दुःखी होकर दूसरों से बात करे ।
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English:
To truly understand the nature of Sagittarius ascendant, it's crucial to grasp the symbolism of Sagittarius, often depicted in ancient texts as half-deer/half-human or half-horse/half-human, holding a bow and arrow, poised to strike; this imagery suggests a hunter, but the target remains unclear, making it difficult to predict the direction of their energy, which is why the placement of planets in the ascendant becomes vital, with Jupiter (the ruling planet), Sun, and Mars generally guiding them towards good, according to Best astrologer Rahu or Mercury can lead them astray; personal freedom is paramount for Sagittarius ascendants, often prioritized above commitments, driven more by their heart than mind, and unconcerned with others' opinions, which can sometimes lead to broken promises without remorse; the eighth house lorded by the Moon further contributes to their fluctuating mind, yet they often have a wide circle of friends due to Gemini in the seventh house, though lasting friendships are reserved for those who understand and forgive their instability and excessive need for independence, as close proximity can sometimes lead to unrealistic expectations and strained relationships; while intellectually capable and potentially successful in creative fields, their hunter-like impulsiveness in social settings can cause misunderstandings, though they rarely dwell on regrets or learn deeply from past mistakes, quickly moving on to new pursuits, embodying a constant search that can lead to spiritual growth with benefic planets in the ascendant or towards negative traits like gossiping with malefic influences; despite a social perception of disregarding family and friends' opinions, this can be seen as a determined focus on their individual quest, and while they may form intense but potentially short-lived romantic relationships due to a tendency to get bored, their creativity flourishes with Jupiter, Sun, Mars, or Moon in the ascendant; the myth of the Sagittarius hunter's arrow returning with cosmic power signifies a potential for positive transformation, leading to extremes of both negative tendencies and spiritual interests, driven by Jupiter's influence as the lord of knowledge and spirituality; ultimately, Sagittarius ascendants, especially when influenced by benefic planets, are often selfless individuals who readily help others without expecting recognition, embodying a spirit of independent exploration and a somewhat detached approach to social norms. Ultimately, Sagittarius ascendants, especially when influenced by benefic planets, are often selfless individuals who readily help others without expecting recognition, embodying a spirit of independent exploration and a somewhat detached approach to social norms. This inherent desire for freedom often fuels a philosophical bent, leading them on quests for knowledge and understanding, whether through extensive travel, higher education, or deep dives into spiritual and intellectual pursuits. Their detached nature, while sometimes perceived as aloofness, stems from a strong adherence to their personal truths and a desire to experience life on their own terms, which can occasionally lead to unconventional choices in relationships and social interactions. The influence of Jupiter, the benevolent ruler of Sagittarius, further imbues them with optimism, a broad perspective, and a natural inclination towards wisdom and good fortune, often making them natural teachers or guides for others. However, this fiery and mutable nature can also manifest as restlessness and a tendency to overcommit, requiring them to learn the importance of balance and focus. While generally positive and forward-looking, the specific placement of the Moon and other planets in their birth chart will significantly color their emotional landscape and the practical manifestations of their Sagittarius ascendant tendencies. Furthermore, the Nakshatra in which their ascendant falls (Moola, Purvashadha, or Uttarashadha) will add another layer of nuance to their character and life path, influencing their deepest motivations and potential challenges. Moreover, the spirit of independent exploration often leads Sagittarius ascendants to embrace diverse cultures and philosophies, making them natural learners and teachers who thrive in environments that encourage intellectual freedom and the pursuit of knowledge. Their detached approach to social norms can sometimes manifest as a refreshing honesty and a willingness to challenge conventional thinking, though it might occasionally lead to social misunderstandings if not tempered with tact and diplomacy. The benevolent influence of Jupiter not only bestows optimism but also a strong sense of justice and a desire to uplift others, often drawing them to careers in teaching, law, philosophy, or humanitarian fields. While their fiery enthusiasm propels them forward, their mutable nature can make them prone to indecisiveness or scattering their energies across too many interests, highlighting the importance of cultivating focus and discipline to achieve their ambitious goals. In relationships, Sagittarius rising individuals value honesty and intellectual connection, often seeking partners who can share their adventurous spirit and philosophical discussions, though their need for freedom can sometimes make long-term commitment a challenge until they find someone who truly understands and respects their independent nature. From a health perspective, their fiery constitution might make them susceptible to issues related to the liver, hips, and thighs, and they often benefit from physical activities that allow them to release their abundant energy. Spiritually, they are often drawn to practices that expand their understanding of the universe and their place within it, such as meditation, yoga, or exploring different religious or philosophical traditions. In the context of today's fast-paced world, their innate optimism and adaptability can be significant assets, helping them navigate change and embrace new opportunities, provided they remain mindful of their tendency towards impulsivity and the need for grounding.