Grah Gochar
Time : नवग्रहों में सबसे तेज फल देता है यह ग्रह, जानें कौन से ग्रह कितने दिन ठहरते हैं एक राशि में
क्या होता है ग्रहों का गोचर, जानें सूर्य से लेकर राहु तक आपके ऊपर प्रभाव
गोचर की सीधा संबंध सभी नौ ग्रहों और बारह राशियों से होता है। गोचर का अर्थ होता है ग्रहों का चलना। जब कोई ग्रह किसी एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करता है तो इस प्रकिया को गोचर कहा जाता है। किसी व्यक्ति के जीवन में ग्रहों के गोचर का बहुत प्रभाव पड़ता है।
ज्योतिष के अनुसार सभी ग्रह एक निश्चित अवधि में अपनी राशि बदलते हैं। सूर्य से लेकर केतु तक सभी ग्रहों के राशि परिवर्तन का अवधि अलग-अलग होती है।
ग्रहों के गोचर की अवधि
सूर्य- एक महीने के अंतराल में अपनी राशि बदलता है।
चंद्रमा- को एक राशि से दूसरी राशि में जाने के लिए लगभग सवा दिन का समय लगता है।
मंगल- करीब डेढ़ महीने की अवधि में अपनी राशि बदलता है।
बुध- लगभग 14 के अंतराल में राशि बदलता है।
वृहस्पति- एक साल में अपनी राशि को बदलता है। इसी तरह शुक्र लगभग 23 दिनों में गोचर होता है।
शनि- ढ़ाई साल में एक राशि से दूसरी राशि में जाता है।
राहु- और केतु- एक से डेढ़ वर्ष में गोचर
सूर्य का गोचर
सूर्य नवग्रहों का राजा कहा जाता है। सूर्य को पिता ग्रह भी माना जाता है। सूर्य सिंह राशि का स्वामी ग्रह है। सूर्य को मान-सम्मान, पद-प्रतिष्ठा और नेतृत्व क्षमता जैसी विशेषताओं का कारक माना जाता है। वहीं, सूर्य के गोचर की बात करें, तो सूर्य किसी भी राशि में एक महीने तक रहते हैं और एक महीने के अंतराल में अपनी राशि बदल लेते हैं।
राशि स्वामी-
सिंह राशि
कारक- आत्मा का कारक
गोचर का शुभ फल- लग्न राशि से तीसरे, छठे, दसवें और ग्यारहवें भाव में शुभ फल
गोचर का अशुभ फल- बाकी बचे भावों में अशुभ फल
चंद्रमा का गोचर
चंद्रमा को स्त्री ग्रह से सम्बधित माना जाता है। चंद्रमा कर्क राशि के स्वामी होते हैं। चंद्र ग्रह को मन, माता, मनोबल, बाई आंख और छाती का कारक ग्रह माना जाता है। वहीं, चंद्र ग्रह की गोचरकाल की बात करें, तो चंद्र एक राशि से दूसरी राशि में जाने में सवा दिन यानी 2.25 दिन का समय लेता है।
राशि स्वामी-
कर्क राशि
कारक- मन का कारक
गोचर का शुभ फल- कुंडली में लग्न राशि से पहले, तीसरे, सातवें, दसवें, और ग्यारहवें भाव में शुभ फल
गोचर का अशुभ फल- चौथे, आठवें और बारहवें भाव में अशुभ परिणाम प्राप्त होता है।
मंगल का गोचर
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मंगल ग्रह को उग्र और पुरुषोचित गुणों वाला माना जाता है। मंगल ग्रह मेष और वृश्चिक दो राशियों का स्वामी होता है। मंगल को निडर और साहस जैसी विशेषताओं से जोड़कर देखा जाता है। मंगल 45 दिनों यानी करीब डेढ़ महीने की अवधि में अपनी राशि बदलता है।
राशि स्वामी- मेष और वृश्चिक
कारक- ऊर्जा, साहस और बल
गोचर का शुभ फल- कुंडली में लग्न राशि से तीसरे, छठे और ग्यारहवें भाव में
गोचर का अशुभ फल- बाकी बचे भावों में अशुभ फल
बुध का गोचर
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार बुध को बुद्धि, विवेक, तर्कशक्ति और चतुरता का कारक ग्रह माना जाता है। बुध मिथुन और कन्या राशि का स्वामी है। वहीं, बुध के राशि परिवर्तन की बात करें, तो बुध 21 दिनों के अंतराल में अपनी राशि बदलता है।
राशि स्वामी- मिथुन और कन्या राशि का स्वामी
कारक- बुद्धि, तर्कशास्त्र, संवाद का कारक
गोचर का शुभ फल- कुंडली में लग्न राशि से दूसरे, चौथे, छठे, आठवें, दसवें और ग्यारहवें भाव में
गोचर का अशुभ फल- शेष भावों में परिणाम अच्छे नहीं
गुरु का गोचर
बृहस्पति ग्रह को गुरु भी कहा जाता है। धनु और मीन राशि का स्वामी होता है। वहीं, गुरु को मांगलिक कार्यों, ज्ञान, धर्म, दान-पुण्य का कारक ग्रह माना जाता है। गुरु यानी बृहस्पति ग्रह के गोचर की बात करें, तो गुरु एक साल यानी 12 महीने में एक राशि से दूसरी राशि में गोचर करता है।
राशि स्वामी- धनु और मीन राशि का स्वामी
कारक- ज्ञान, संतान एवं परिवार का कारक
गोचर का शुभ फल- दूसरे, पाँचवें, सातवें, नौवें और ग्यारहवें भाव में शुभ फल
गोचर का अशुभ फल- बाकी भाव में अशुभ फल
शुक्र का गोचर
ज्योतिष शास्त्र में शुक्र ग्रह को धन, वैभव, विलासिता और सुख-समृद्धि की प्राप्ति से जोड़कर देखा जाता है। शुक्र ग्रह वृष और तुला राशि दोनों राशियों का स्वामी होता है। शुक्र का गोचर काल 26 दिनों का होता है यानी शुक्र एक राशि से दूसरी राशि परिवर्तन 26 दिनों में करता है।
राशि स्वामी-
वृषभ और तुला राशि का स्वामी
कारक- प्रेम, रोमांस, सुंदरता और कला
गोचर का शुभ फल- पहले, दूसरे, तीसरे, चौथे, पाँचवें, आठवें, नौवें, ग्यारहवें और बारहवें भाव में शुभ फल
गोचर का अशुभ फल- बाकी भाव में अशुभ फल
शनि का गोचर
ज्योतिष शास्त्र में शनि ग्रह को सबसे क्रोधी ग्रह माना जाता है। शनि को कुंभ और मकर दो राशियों का स्वामी माना जाता है। शनि को कर्मफलदाता और न्याय का देवता भी माना जाता है। शनि सबसे धीमी गति की चाल वाला ग्रह है, जो एक राशि से दूसरी राशि में जाने में 2.5 वर्ष तक का समय लेता है।
राशि स्वामी-
मकर और कुंभ राशि का स्वामी
कारक- कर्म का कारक
गोचर का शुभ फल- तीसरे, छठे, ग्यारहवें भाव में शुभ फल
गोचर का अशुभ फल- बाकी भाव में अशुभ फल
राहु का गोचर
ज्योतिष शास्त्र में राहु और केतु को शुभ ग्रह नहीं माना जाता है। राहु और केतु को शनि ग्रह का अनुचर ही माना जाता है। दोनों एक होकर भी दो ग्रह माने जाते हैं, इसका अर्थ यह है कि सिर राहु है तो केतु धड़। एक राशि से दूसरी राशि में जाने में राहु और केतु 19 महीने यानी एक से डेढ़ वर्ष तक का समय लेते हैं।
राशि स्वामी- कोई नहीं ( छाया ग्रह)
कारक- चतुरता, तकनीकी और राजनीति
गोचर का शुभ फल- तीसरे, छठे, ग्यारहवें भाव में शुभ फल देता है।
गोचर का अशुभ फल-
बाकी भाव में अशुभ फल।
केतु का गोचर
ज्योतिष शास्त्र में राहु और केतु को शुभ ग्रह नहीं माना जाता है। राहु और केतु को शनि ग्रह का अनुचर ही माना जाता है। दोनों एक होकर भी दो ग्रह माने जाते हैं, इसका अर्थ यह है कि सिर राहु है तो केतु धड़। एक राशि से दूसरी राशि में जाने में राहु और केतु 19 महीने यानी एक से डेढ़ वर्ष तक का समय लेते हैं।
राशि स्वामी- कोई नहीं ( छाया ग्रह)
कारक- वैराग्य, आध्यात्म और मोक्ष
गोचर का शुभ फल- लग्न राशि से पहले, दूसरे,तीसरे, चौथे, पाँचवें, सातवें, नौवें और ग्यारहवें भाव में शुभ फल
गोचर का अशुभ फल-
बाकी भाव में अशुभ फल।