How did Rudraksha originated? / रुद्राक्ष की उत्पत्ति कैसे हुई ?

How did Rudraksha originated?

रुद्राक्ष की उत्पत्ति कैसे हुई ?

रुद्राक्ष के फायदे के बारे में तो बहुत लेख मिलते हैं लेकिन,इसकी उत्पत्ति के बारे में उल्लेख किया गया है कि इसका उद्भव शिव के अश्रु से हुआ है जिस कारण रुद्राक्ष का अर्थ रूद्र +अक्ष हुआ।

 

शिव पुराण में रुद्राक्ष का वर्णन

इस संबंध में शिवपुराण में एक कहानी का वर्णन किया गया है कि, एक बार शिव जी देवी पार्वती से वार्ता करते हुए कहते हैं कि मैंने अपनी तपस्या के माध्यम से अपने मन-मस्तिष्क को स्थिर करने का प्रयास किया लेकिन, मुझे कुछ समय के लिए भय सा लगा और, मेरे नेत्र खुले जिनसे आंसुओं की बूँद गिरने लगी।

 

मान्यता हैं की, शिव के अश्रुओं की बूँदें ही पृथ्वी पर एक वृक्ष के तौर पर निर्मित हो गई और, इन वृक्षों में जो फल पाया जाता है उसे ही रुद्राक्ष कहा जाता है।

 

रुद्राक्ष के पेड़ कहां पाए जाते हैं?

  • रुद्राक्ष पहाड़ी पेड़ का ख़ास तरह का फल हैं
  • रुद्राक्ष के पेड़ मुख्यतः इंडोनेशिया और नेपाल में पाए जाते है।
  • जिसमें से नेपाल के पाली क्षेत्र के रुद्राक्ष सबसे अच्छे माने जाते है।
  • इंडोनेशिया के दाने 4 से 15 मिमी व्यास के होते हैं
  • वहीँ, नेपाल के पाली क्षेत्र के ये रुद्राक्ष दाने 10 से 33 मिमी व्यास के होते है।

 

रुद्राक्ष का पेड़ भारत में कहाँ पाया जाता है?

वहीँ भारत में यह वृक्ष खासतौर पर मथुरा, अयोध्या, काशी और मलयाचल पर्वत में पाए जाते है।

इससे संबंधित और साक्ष्यों की बात करें तो इसका वर्णन शिवपुराण के अलावा स्कंदपुराण, बालोपनिषद, रूद्रपुराण, श्रीमदभागवत तथा देवी भागवत में मिलता है।

 

रुद्राक्ष कैसे बनता है?

  • रुद्राक्ष को प्राप्त करने के लिए, सबसे पहले इसके फल का छिलका उतार दे
  • फिर रुद्राक्ष का बीज निकाले फल में से
  • इस के बीज को पानी में गाला कर साफ़ करे
  • और इस तरह रुद्राक्ष बनता है।

 

असली रुद्राक्ष की पहचान कैसे करे?

  • शुद्ध रुद्राक्ष के अंदर प्राकर्तिक रूप से छेद होते है।
  • असली रुद्राक्ष में संतरे की तरह फांके बने होते है। जिसके आधार पर ही रुद्राक्ष का वर्गीकरण किया जाता है।
  • सभी रुद्राक्ष की पहचान इनमे उपस्थित लाइन्स के आधार पर या अंदर x ray करने पर बीज दिखते है उनके आधार पर किया जाता है।
  • एक रुद्राक्ष में जितनी धारिया या लाइन्स होती हैं वह उतने मुखी रुद्राक्ष कहलाता है।
  • और, x-ray करने पर उसमें उतने ही बीज दिखाई पड़ते है।
  • रुद्राक्ष में कीड़ा लगा हों
  • कही से टुटा फूटा हों
  • रुद्राक्ष में अलग से दाने उभरे हों
  • ऐसे रुद्राक्ष कभी भी धारण नहीं करने चाहिए
  • आप किसी लैब टेस्ट की बजाए, स्वये ही रुद्राक्ष की पहचान कर सकते हैं
  • रुद्राक्ष की पहचान के लिए उसे सुई से खुरेदे अगर रेशा निकले तो रुद्राक्ष असली होंगे नहीं तो नकली होगा
  • इसके आलवा शुद्ध सरसो के तेल में रुद्राक्ष को डाल कर 10 मिनट तक गर्म किया जाए तो असली रुद्राक्ष होने पर उसकी चमक बढ़ जाएगी तथा नकली होने पर फ़ीकी हों जायगी

 

शिव रुद्राक्ष माला का जप कैसे करे?

निम्नलिखित शिव रुद्राक्ष माला का हिन्दू परंपरा में अत्यधिक महत्व है जिसके माध्यम से भक्तजन ईश्वर के निकट रहने का प्रयास करते है। भगवान शिव को रुद्राक्ष माला सबसे अधिक प्रिय है और ऐसी मान्यता है कि जो भी जातक शिव माला 108 बार जाप मंत्र का उच्चारण कर धारण करता है उसकी सारी मनोकामनाएं पूरी होती है और उसके जीवन में भगवान शिव एक साये की तरह सदैव साथ रहते है। 

 शिव जी की माला को पहनने का भी एक तरीका है जिसके अनुसार ही इसका प्रयोग किया जाए तो इसके लाभ अनगिनत है। नीचे उन्हीं तरीकों का वर्णन किया गया है |

 

रुद्राक्ष माला सिद्ध करने का मंत्र

ईशानः सर्वभूतानां

 

रुद्राक्ष सिद्ध करने की विधि

यदि जाप माला सिद्ध करनी हो तो पंचामृत में डुबोएं, फिर साफ पानी से उसे अच्छी तरह धो लें। ध्यान रहे कि हर मणि पर ईशानः सर्वभूतानां मंत्र 10 बार बोलें। यह शिव माला नियम के अनुसार ही किसी भी रुद्राक्ष को धारण किया जाना चाहिए।

 

मेरू मणि पर स्पर्श करते हुएऊं अघोरे भो त्र्यंबकम्मंत्र का जाप करें और अगर एक ही रुद्राक्ष सिद्ध करना हो तो पहले उसे पंचामृत से स्नान कराएं। बाद में उसकी षोडशोपचार विधान से पूजा-अर्चना करें, फिर उसे चांदी के डिब्बे में रखें। ध्यान रहे कि उस पर प्रतिदिन या महीने में एक बार इत्र की दो बूंदें अवश्य डालें। इस तरह से किसी रुद्राक्ष की जाप माला या किसी एक रुद्राक्ष को सिद्ध किया जा सकता है।

 

रुद्राक्ष कितने प्रकार के होते हैं?

दरअसल, रुद्राक्ष कूल मिला कर 21 प्रकार के होते है। जिनमे से मुख्यता 14 प्रकार के रुद्राक्ष को उपयोग में लाया जाता है।

रुद्राक्ष के कई प्रकार के मुख हैं और इन मुखों में अलग-अलग नक्षत्रों, देवताओं तथा ऋषियों का वास होता है और इनकी विशेषता के ही अनुसार इन रुद्राक्ष से बनी वस्तु जैसे माला आदि का प्रयोग किया जाता है। आज हम इन्हीं विशेषताओं का विस्तार से वर्णन करेंगे ताकि पाठकों को रुद्राक्ष के संबंध में विस्तृत जानकारी प्राप्त हो सके। वैसे तो नक्षत्रों के हिसाब से रुद्राक्ष 16 और 21 मुखी भी पाए गए हैं लेकिन, 14 मुखी तक का रुद्राक्ष बड़ी ही कठिनाइयों से पाया जाता है।

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